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Sunday 1 March 2020


       आज मै आपको  भारत के एक ऐसे रहस्यमयी कुंड के बारे में बताने जा रहा हु जिसके  बारे में कहा जाता है कि पानी की कुंड की गहराई का पता आज तक वैज्ञानिक भी नहीं लगा पाए हैं .  साथ ही में वह पानी की स्त्रोत कहा से आती है  पता नहीं लगा पाए है . वह है  भीम कुण्ड .

भीम कुण्ड 


       भीम कुण्ड एक नैसर्गिक पानी का स्त्रोत है ; जो भारत के मध्य प्रदेश राज्य के छतरपुर जिले के बजना गांव मैं स्थित है .
                         भीम कुण्ड और उसकी सॅटॅलाइट पोजीशन (मैप लिंक के साथ )नीचे की इमेज में दिई है.
           
  
Satellite image of Bhimkund
            भीम कुण्ड  की गहराई पता करने की कोशिश स्थानीय प्रशासन से लेकर विदेशी वैज्ञानिक और डिस्कवरी चैनल तक ने की है, लेकिन कोई इसकी गहराई नाप नहीं पाया है.  स्थानीय रहिवासी लोगो कहते  है कि    " जब भी एशियाई महाद्वीप में कोई प्राकृतिक आपत्ति  जैसे भूकंप,बाढ़,तूफान,सुनामी ;  घटने वाली होती है, तो कुंड का पानी अपने आप बढ़ता है, और इस भीम  कुंड का पानी  बिलकुल साफ है ".    इसका मतलब है के इस कुंड में बहाव भी है जिसके कारण पानी साफ सुधरा है, जब की अगर बहाव नहीं  होता तो पानी ख़राब होने लगता. आज भी वैज्ञानिकों के पास इस बात का कोई जवाब नहीं है कि कुंड की गहराई कितनी है ?, और जब भी कोई प्रलय आने वाला होता है तो इस कुंड का जलस्तर क्यों बढ़ जाता हैं.?

      खैर जो भी हो आज तक तो ये सब हमने कही न कही पढ़ा ही होगा पर हमें उसके आगे चलना हैं. ।

       
    भीम कुण्ड कैसे बना ?         

         मेरे स्टडी से तो पता लगता है की यह भीमकुण्ड एक डोलाइन(Doline) हे.  यह डोलाइन एक ऐसी भूशास्त्रीय संरचना है, जो मुख्यतर लाइमस्टोन (चुना पत्थर) के एरिया में दिखाई देती है. क्योँकि लाइमस्टोन (चुना पत्थर)पानी में आसानी से घुल जाता है.

       कुछ रेजिस्टिविटी भूभौतिकी तकनीकों से मालूम पड़ा है की भीमकुण्ड की एरिया में भी पृथ्वी की सतह(क्रस्ट) के सबसे ऊपरी हिस्से में कही पत्थरोंके प्रकार प्रतीत हुए है उसमे लाइमस्टोन (चुना पत्थर) भी है.  शेल, सैंडस्टोन (बलुआ पत्थर) के निचले हिस्से  में करीब ४० मीटर के आस पास लाइमस्टोन(चुना पत्थर) का एक थर होने का पता चला  है, जिसकी मोटाई भी बहुत हैं.

      देखा जाये तो भूशास्त्र के  हिसाब से  ऐसा थर अगर पूरी तरह से पानी में घुल गया तो जमींन  के उस हिस्सें  में बड़ी गुफाये जमींन के अंदर बन जाती है , जिसके कारण उपरी हिस्से के पत्थरोंको सहारा नहीं रहता और वो नीचे धस जाते है ;  जिसके कारण वह छेद बन जाता है; और गुफा के अंदर से बहने वाले पानी के तेज धाराओं के साथ वह धसे पत्थर भी बह जाते है,  जिसके कारण वह एक खड़ी गुफा के जैसे दीखता है;  जो पानी से भरा हो.  साथ ही में इसी तरह जमींन के अंदर छोटी व्यास वाली और उच्च लम्बाई वाली कई सारी  गुफाये पानी के साथ घुलने की लाइमस्टोन (चुना  पत्थर) के  रिएक्शन से बनती है;  जिनमे से होकर पानी की धाराएँ बहती रहती है; और आखिर कही बहुत दूर पर फिर से नदी के रूप में ज़मीन  के ऊपर आती है, या फिर भूजल कि स्त्रोत बनके ज़मीन में ही बरसो तक रहती हैं.

      वही भीमकुण्ड को अच्छे से देखने के बाद जान पड़ता है की ऐसे ही इस भीमकुण्ड की उत्पत्ति हुई हो. भीम कुंड के निचे की उसी लाइमस्टोन (चुना पत्थर) की पानी के साथ सतत कि घुलने की प्रोसेस जो की बहुत साल पहले से शुरू हुई थी, उसकी  वजह से जमींन के उस हिस्से  मे बड़ी गुफाये जमींन  के अंदर भी बनी; जिसके कारण ऊपरी हिस्से के पत्थरों को सहारा नहीं रहा और वो नीचे धस गए,  जिसके कारण वह छेद बन गया. और गुफा के अंदर से बहने वाले पानी के तेज धाराओं के साथ वह धसे पत्थर भी बाद मे बह गए;  जिसके कारण वह एक खड़ी गुफा के जैसे दीखने लगा जो भीम कुंड बन गया .
       
       पानी की तेज़ धाराएँ भीमकुण्ड के निछले हिस्से मे क्यों बहती है ?  भीम कुंड की गहराई कितनी है?  यह  सवाल भी अभीतक ठीक से नहीं सुलझ पाया हैं.



इमेज  यह जानने के लिए कि गुफाये  किस तरह से जुड़ी हुई होती हैं,  और कैसे पानी जमीन  अंदर से गुफावो  से बहता है. 


   पानी की तेज़ धाराएँ भीमकुण्ड के निछले हिस्से मे क्यों बहती हैं. ?

        भीम कुंड के साथ में ही, जमींन के अंदर  छोटी व्यास वाली और उच्च लम्बाई वाली कई सारी गुफाये पानी के साथ घुलने की लाइमस्टोन (चुना  पत्थर) के रिएक्शन से बनी है। जिनमे से होकर पानी की तेज़ धाराएँ बहती रहती है, उसी के कारण भीम  कुंड का पानी भी बिलकुल साफ है. और आखिर कही बहुत दूर पर फिर से जमींन पर नदी के रूप में जमींन के ऊपर वो धराये आती होगी या फिर भूजल कि बहुत बड़ा स्त्रोत बनके जमींन में ही बरसो तक बह रही है .

  भीम कुण्ड की गहराई कितनी है? 

       ऐसे कही सारी एक दूसरे को जुडी हुई अनेक भूमिगत  गुफाये निचली हिस्से  पर भी होगी  जिससे होकर पानी की तेज धाराएँ एक से होकर दूसरे और दूसरे से होकर तीसरे में बहती होगी; जिसके कारण वहा  तक पहुंचना मुनकिन नहीं हो पा रहा है. और हम उसकी गहराई नहीं नाप पा रहे है. और वह स्त्रोत इतना बड़ा है की हम उसे निर्जल  कर के भी उसका अभ्यास नहीं कर पा रहे है.

      और रही बात  स्थानी रहिवासियों के कहने की, की प्राकृतिक आपत्ति  जैसे भूकंप,बाढ़, तूफान, सुनामी; घटने वाली होती है, तो कुंड का पानी अपने आप बढ़ने लगता है. तो मेरे हिसाब से भूकंप और बाढ़ जब आती है तो उसका परिणाम भूजल में होता ही है ,और उसका स्तर ऊपर निचे होता रहता है.  उस समय भूमिगत दबाव (प्रेशर) बढ़ता है ;तो जहा दबाव (प्रेशर) कम हो वहाँ पानी ढकेला चला जाता है (जमिन का दबाव जहा जमींन के ऊपर की तरफ कम होता है;  तो उसी तरफ वो धकेला जाता है,  और उसी कारण जलस्तर बढ़ता है).  उसी के कारण भीमकुण्ड में भी जब प्राकृतिक आपत्ति  जैसे भूकंप,बाढ़, सुनामी ;घटने वाली होती है, पानी कि स्तर बढ़ता होगा.

     यह मेरा साइंटिफिक अनुमान है.